Wednesday, 27 July 2011

dedicated to distanced beloved

दस्तक से तेरे आने की दिल बेक़रार हो रहा हैं,
करता हूँ दुआ खुदा से कि इस बेकरारी को मिटा दे;
ये मुश्किलात,दुश्वारिया व दूरियां जिनसे गुज़र रहे हैं हम, 
एक करके हमको, वो दूरियां मिटा दे |



वो लम्हे  जो  साथ  गुज़ारे  थे  हमने,
नश्तर  की  तरह  मुझको  चुभते  है  अब;
वो  हर  चीज़  जो  कभी  मरहम  हुआ  करती  थी,
एक  नया  ज़ख्म  मुझको  दे  जाती  है अब;
चाहा   दिल,  कभी  तो  देंगे  तेरे  दरवाज़े  पर  दस्तक,
वो  उम्मीद  भी  कम   ही  नज़र  आती  है  अब
एक  बेखुमारी  थी  के  उम्र  भर  बने  रहेंगे  हम  साथ,
एक  मुद्दत  के  बाद  नींद  से  में  जागा हु  अब;
काश  ये  रिश्तों  की  दरारें  ख्वाबों  की  तरह  होती  "आसिफ"
आंख  खुलते  ही  भूल  जाते  हम  सब |



वो  मेरी  आँखों  में  बसी  है  ख्वाब  बनकर
ऑंखें  खोलू  तो  सामने  है  हमराज़  बनकर
सोचता  हु  उससे  नज़रे  चुराऊ  तो  कैसे
वो  मेरी  रूह  में  बसी  है  अहसास  बनकर
जब  कभी  उससे  दूर  जाने  की करता  हूँ   कोशिश
याद  रोकती  है  उसकी  मुझको  साया  बनकर
जब  कभी  चाह  मैंने  हाले  दिल  बताना  उसको
खौफ-ए-जुदाई  ने  रोका  मुझको  बंदिश  बनकर
जब  कभी  किया  मैंने  इजहारे  मोहब्बत  उनसे
नज़र  अंदाज़  किये  मेरे  जज्बातों  को  उन्होंने  हमेशा   हंस कर
कुछ  रिश्तों  की  तकदीर  ही  ऐसी  होती  है "आसिफ"
रह  जाते  जो  अक्सर हैं  एक  यादगार  बनकर | 


for my love


तुम्हारा  आना  मेरी  जिंदगी  में  एक  इत्तेफाक  था,
तुम्हारा  रहना  मेरी  जिंदगी  में  प्यार  का  अहसास  था.
तुम्हे  रुसवा  किया  पल  पल  हर  दम  मैंने,
तुम्हारा  रुसवा  होना  मज़बूरी  नहीं , तुम्हारा  बेइंतेहा प्यार  था .
तुम  आई  एक  नूर  बुनकर  मेरी  जिंदगी  में  कुछ  ऐसे,
मानो अंधेरो  में  रौशनी  का  अहसास  था .
जिंदगी  के  हर  मोड़  पर  साथ  पाया  हैं  तुम्हारा  मैंने,
थी  दूर  तुम  मगर  पास  होने  का  अहसास  था.
नाज़  करता  है  तुम्हें  पाकर  जिंदगी  में  आसिफ,
गुजारे तेरे  साथ  कुछ  पलों  में मानो सदियों  का  अहसास  था.





dedicated to the unborn girl children and victims of violence


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