वो मेरी आँखों में बसी है ख्वाब बनकर
ऑंखें खोलू तो सामने है हमराज़ बनकर
सोचता हु उससे नज़रे चुराऊ तो कैसे
वो मेरी रूह में बसी है अहसास बनकर
जब कभी उससे दूर जाने की करता हूँ कोशिश
याद रोकती है उसकी मुझको साया बनकर
जब कभी चाह मैंने हाले दिल बताना उसको
खौफ-ए-जुदाई ने रोका मुझको बंदिश बनकर
जब कभी किया मैंने इजहारे मोहब्बत उनसे
नज़र अंदाज़ किये मेरे जज्बातों को उन्होंने हमेशा हंस कर
कुछ रिश्तों की तकदीर ही ऐसी होती है "आसिफ"
रह जाते जो अक्सर हैं एक यादगार बनकर |
ऑंखें खोलू तो सामने है हमराज़ बनकर
सोचता हु उससे नज़रे चुराऊ तो कैसे
वो मेरी रूह में बसी है अहसास बनकर
जब कभी उससे दूर जाने की करता हूँ कोशिश
याद रोकती है उसकी मुझको साया बनकर
जब कभी चाह मैंने हाले दिल बताना उसको
खौफ-ए-जुदाई ने रोका मुझको बंदिश बनकर
जब कभी किया मैंने इजहारे मोहब्बत उनसे
नज़र अंदाज़ किये मेरे जज्बातों को उन्होंने हमेशा हंस कर
कुछ रिश्तों की तकदीर ही ऐसी होती है "आसिफ"
रह जाते जो अक्सर हैं एक यादगार बनकर |
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